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स्टोरेज डिवाइस क्या है [ What is Storage Device in Hindi ]

अगस्त 24, 2018 1
स्टोरेज डिवाइस क्या है [ What is Storage Device in Hindi ]

स्टोरेज डिवाइस क्या है (What is Storage Device in Hindi)


 ये सवाल बहुतों के मन में कभी न कभी तो आया हो होगा लेकिन बहुत खोजने पर भी detailed में जानकारी हिंदी में कहीं पर भी उपलब्ध नहीं है, जिसके चलते बहुत से लोगों को सही माईने में Data Storage Device क्या है और इसके कितने Types है के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती है. जैसे की इसके नाम से ही पता चलता है की ये कुछ ऐसे device (उपकरण) हैं जिनका इस्तमाल data या information को digitally store करने के लिए होता है.

इन्हें alternatively digital storage, storage media, storage medium या storage device के नाम से भी जाना जाता है. ये कुछ इसप्रकार के Hardware device होते हैं जो की data या information को digitally store करके रखते हैं और वो भी Temporarily  या Permanently. इनका मुख्य उद्देश्य ही data को store करने का होता है.

अगर हम Computers की बात करें तब ये data storage ऐसे जगह होते हैं जो की data को electromagnetic और optical form में store करते हैं जिससे की computer processor जरुरत पड़ने पर इन data को बड़ी आसानी से access कर सकें. तो फिर बिना देरी किये चलिए जानते हैं की आखिर ये Storage Device क्या  होता है और इनके Types क्या हैं.

स्टोरेज डिवाइस क्या है (Storage Device in Hindi)



जैसे की मैंने पहले ही कहा है की Storage Devices उन्हें कहा जाता है जो की data और information को जरुरत के हिसाब से termporarily या permanently store करते हैं. ये Data को digitally store करते हैं.

Computers में जो storage device का इस्तमाल होता है वो मुख्य तोर से दो प्रकार के होते हैं.

1.  Primary Storage Device
2.  Secondary Storage Device

यहाँ पर अगर में Primary Storage Device in Hindi की बात करूँ तो उनका memory temporary होता है, या जिसे की volatile भी कहते हैं. इसके साथ इनमें limited memory होती है. उदहारण के तोर पर RAM.
वहीँ अगर में Secondary Storage Device in Hindi की बात करूँ तो उनका memory permanent होता है. इसके साथ ये बड़ी मात्रा में data को store कर सकते हैं. उदहारण के तोर पर Hard Drives.
क्यूँ Secondary Storage Devices का इस्तमाल ज्यादा होता है?

Secondary storage devices का इस्तमाल इसलिए ज्यादा होता है क्यूंकि :

1. Primary Storage की Memory (RAM) volatile और temporary होती है. जैसे ही computer को बंद कर दिया जाता है वैसे ही जो भी data RAM में स्तिथ होता है वो सारे भी erased हो जाते है.

2. Secondary Storage devices बहुत ही बड़ी मात्रा में data और instructions को permanently store करके रखते हैं जहाँ Primary memory की बहुत ही छोटी capacity होती है Data Store करने की.

3. Secondary storage की एक खास feature ये भी है की ये removable, internal, और external storage भी हो सकती हैं.

Local Storage Types


1. External Hard Drive


ये उन hard drives के तरह ही है जिन्हें की आपके desktop computer और Laptops में install किया गया है. इनमें जो main अंतर वो ये की इन्हें आप computer में plug सकते हैं, या फिर उन्हें निकाल भी सकते हैं और या फिर आप इन्हें main computer से separate भी रख सकते हैं. ये मुख्यतः दो sizes में मिलता है :

Desktop External Hard drive : जो की करीब 3.5 inch की होती है और जिन्हें desktop computers में इस्तमाल किया जाता है.

Portable External Hard drive : जो की करीब 2.5 inch की होती है और जिन्हें Laptops में इस्तमाल किया जाता है.

Desktop External Hard Drives अक्सर सस्ते होते हैं Portable External Hard Drives की तुलना में वही समान storage space के आधार पर. इसके साथ वो Portable External Hard Drives से ज्यादा faster और robust भी होते हैं.

Capacity : इनकी Capacity 160GB से 3TB (approx 3000GB) तक की होती है

Connection : ये computer को USB 2.0 or USB 3.0 connection के द्वारा जुड़ता है. इसके साथ ये SATA or eSATA connector में भी available होता है.

Advantages :

1. ये बहुत ही अच्छा option है local backups के लिए जहाँ की large amounts of data होता है.

2. ये सबसे सस्ता option होता है storage के लिए अगर हम dollars per GB की बात करें तब. इसके साथ ये बहुत ही reliable होता है अगर इसे सही तरीके से अगर handle किया जाये तब.

Disadvantages :

1. ये बहुत ही delicate होता है. ये बहुत आसानी से damage हो सकता है अगर इसे कहीं पर अगर गिरा दिया जाये या electricity की voltage में ऊपर निचे हो तब.

2. Solid State Drive (SSD)


Solid State Drives दिखने में और काम करने में बहुत ही similar होता है traditional mechanical/ magnetic hard drives के तरह. लेकिन ये Internally, पूरा ही अलग होता है. इनमें कोई भी moving parts or rotating platers नहीं होते हैं. ये solely depend करते हैं semiconductors और electronics पर data storage के लिए जो की इसे ज्यादा reliable और robust बनाते हैं traditional magnetic hard drive से. यहाँ पर moving parts के न होने से ये traditional hard drives की तुलना में कम power का इस्तमाल करते हैं और बहुत ही तेज़ काम करते हैं.
जैसे की हम जानते हैं की Solid State Drives  की कीमत दिनबदिन कम होते जा रहे हैं और इसके lower power usage की वजह से, SSD’s को आजकल भरी मात्रा में laptops और mobile devices में इस्तमाल किया जा रहा है. इसके साथ External SSD’s एक बहुत ही अच्छा option है data backups के लिए.

Capacity : 64GB to 256GB

Connections : USB 2.0/3.0 and SATA

Advantages :

1. ये बहुत ही Faster read और write करता है.
2. ये ज्यादा robust और reliable होता है traditional magnetic hard drives की तुलना में
3. ये Highly portable होता है. इसलिए इसे आसानी से एक जगह से दूसरी जगह को ले जाया जा सकता है.

Disadvantages :

1. ये traditional hard drives के तुलना में ज्यादा expensive होता है.
2. इसमें Storage space भी traditional magnetic hard drives की तुलना में बहुत कम होती है.


Network Attached Storage (NAS)


अगर हम NAS की बात करें तो ये simply एक या एक से ज्यादा regular IDE or SATA hard drives का समाहार होता है जिसे की एक array storage enclosure में plug किया जाता है और उसे एक network Router or Hub के साथ जोड़ा जाता है एक Ethernet port के माध्यम से. कुछ NAS enclosures में ventilating fans होते हैं जो की सुरक्षा प्रदान करते हैं hard drives को overheating होने से.

Advantages :

1. ये बहुत ही अच्छा option है local backups के लिए ख़ास तोर से networks और small businesses के लिए.

2. चूँकि इसमें बहुत सारे hard drives को plugged in किया जा सकता है, इसलिए NAS बहुत ही बड़ी मात्रा में data को store कर सकती है.

3. इसे Redundancy (RAID) के साथ implement किया जाता है जिससे इसकी reliability, read और write performance बढ़ जाती है. चाहे आप कोई भी RAID level का इस्तमाल किये हों तब भी NAS function कर सकता है अगर एक hard drive RAID में fail हो जाये तब भी. इसके साथ दो hard drives को setup किया जा सकता है जिससे की वो single hard drive को read और write speed को दुगना कर सके.

4. यहाँ पर drive हर समय network के साथ connected रहता है और इसके साथ available भी रहता है जो की NAS को एक अच्छा option बनाता है automated scheduled backups को implement करने के लिए.

Disadvantages :

1. ये बहुत ही ज्यादा expensive होती है एक single External Hard Drives के मुकाबले.

2. ये बिल्कुम भी portable नहीं है जिससे की इसे लेने जाने में बहुत तकलीफ करनी पड़ती है. जिससे की इसे हमेशा खतरा रहता है बाड़, fire और चोरी से.

4. USB Thumb Drive Or Flash Drive

ये बहुत ही similar होती हैं Solid State Drives के जैसे except इनके केवल size ही सबसे छोटा होता है और इसके साथ इनकी capacity. इनमें कोई moving parts न होने से ये इन्हें ज्यादा robust बनती हैं. ये बहुत ही ज्यादा portable होते हैं जिससे इन्हें किसी keychain  में भी Fit किया जा सकता है. ये सबसे ज्यादा ideal होता है उनके लिए जिन्हें की छोटे मात्रा में data को backup करना होता है और उसे इधर उधर ले जाना होता है.

Capacity : 4GB to 64GB

Advantages :

1. ये बहुत ही अच्छा portable storage option है. इसे बहुत ही कम जगह में रखा जा सकता है जो की इसे ज्यादा portable बनता है.

2. ये बहुत ही ज्यादा robust होता है traditional magnetic hard drives की तुलना में.

Disadvantages :

ये Relatively ज्यादा expensive होता है per GB के हिसाब से इसलिए इनका इस्तमाल केवाल कम data store करने के लिए होता है.

5. Optical Drive (CD/ DVD)

CD’s और DVD’s एक ideal option होते हैं songs, movies, media or software को store करने के लिए जो की आप अपने friends को distribute करने के लिए या देने के लिए इस्तमाल कर सकते हैं, क्यूंकि ये बहुत ही कम cost का होता है per disk. ये कभी भी एक बेहतरीन storage options नहीं हो सकता backups के लिए क्यूंकि इनकी बहुत shorter lifespan होती है, कम storage space और slower read और write speeds होते हैं.

Capacity CD: 650MB to 900MB
Capacity DVD: 4.7GB to 17.08GB

Advantages :

ये बहुत की कम cost per disk की होती है

Disadvantages :

1. ये दुसरे storage options की तुलना में कम lifespan वाले होते हैं

2. इसके साथ ये दुसरे storage options जैसे की external hard disk और SSD के जैसे उतने reliable नहीं होते हैं. एक बार वो damage हो जाएँ तो उन्हें दूसरी बार backup नहीं किया जा सकता.

Remote Storage Options


6. Cloud Storage


Cloud storage एक ऐसा storage space होता है जिन्हें की commercial data center में इस्तमाल किया जाता है जिसे कोई भी computer जिसमें Internet access हो से operate किया जा सकता है. इन्हें usually service provider के द्वारा provide किया जाता है. एक limited storage space को मुफ्त में provide किया जाता है, वहीँ ज्यादा space के लिए आपको subscription fee देना पड़ सकता है. ऐसे service providers के उदहारण हैं Amazon S3, Google Drive, Sky Drive इत्यादि

Advantages :

ये एक बहुत से अच्छा offsite backup है. ये किसी भी बाहरी कारणों जैसे की theft, floods, fire से affected नहीं होता है.


Disadvantages :

1. ये traditional external hard drives के मुकाबले ज्यादा expensive होता है. अक्सर इसमें आपको ज्यादा space के लिए subscription लेनी पड़ती है.

2. इसमें एक Internet connection की जरुरत पड़ती है cloud storage को access करने के लिए.

3. ये दुसरे local backups की तुलना में बहुत है slow होते हैं.


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Hard Disk Drive के बारे में बेहद रोचक जानकारियां। [Important about Hard disk drive]

अगस्त 15, 2018 1
Hard Disk Drive के बारे में बेहद रोचक जानकारियां। [Important about Hard disk drive]
हार्ड डिस्क के बारे में कुछ जानकारियां – Computer या laptop में स्टोरेज के लिए इस्तेमाल होने वाली प्रमुख इकाई को ही hard disk कहते है और पूरे computer device में ये ही एक ऐसा पार्ट है जिसमे सबसे ज्यादा बिजली की खपत होती है और कारण है इसके अंदर लगी मैग्नेटिक disk का तेजी से घूमना जो करीब 7000 RPM की गति से घूमती है और इसी disk को hard disk drive कहते है |

Hard डिस्क Drive के बारे में रोचक जानकारी




यह data को digitally स्टोर करता है और यह तब भी save रहता है जबकि आप इसकी पॉवर ऑफ कर देते है असल में अभी तो तकनीक के विकास के साथ ये सब बड़ी साधारण सी बाते लगती है लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं था क्योंकि आपको बता दें कि दुनिया की सबसे पहली hard disk को IBM कम्पनी द्वारा बनाया गया था जबकि यह आज की तुलना मे बाजार में उपलब्ध hard disk की तुलना में दस गुना अधिक बड़ी थी और इसमें केवल 5 mb data स्टोर किया जा सकता था |

ये भी देखें:- अचानक बन्द हुए टैब को कैसे वापस लाएं

1980 में IBM ने उसमे सुधार कर एक नयी hard disk बनायीं जिसकी storage capacity तो पहले के मुकाबले बहुत अधिक (करीब 2.5 GB से अधिक ) थी लेकिन फिर भी वजन और परिमाप में वो बहुत बड़ी थी | उसका वजन करीब 250 KG और size किसी फ्रिज के बराबर का था |

क्या आपको पता है:-


किसी भी तरह की storage device में से जब भी आप किसी तरह का data delete करते है तो वो कभी delete नहीं होता क्योकि उसकी एक इमेज आपकी storage device पर save रहती है ताकि आप कभी दुर्घटनावश data delete होने की स्थिति में अपना data किसी भी data recovery software की मदद से फिर से वापिस लें सकें और यही बात hard drive के केस में भी लागू होती है | सबसे अधिक लोकप्रिय data recovery software है pandora जिसे बड़ी आसानी से इसकी official website से डाउनलोड किया जा सकता है |

data storage को मापने की इकाई :

storage को मापने की सबसे छोटी इकाई है byte है और आप इन्हें बढ़ते हुए क्रम में इस तरह समझ सकते है
1 KB -1024 Bytes
1 MB-1024 KB
1 GB -1024 MB
1 TB -1024 GB

Hard Disk Drive का नया अवतार

आजकल hard disk के स्थान पर SSD (SOLID STATE DRIVE) भी प्रचलन में है जिनमे hard disk की तरह कोई मूविंग पार्ट नहीं होता जबकि उनमे data electronically छोटी छोटी microchips पर save होता है और इसी वजह से इनमे data एक्सेस करने की स्पीड भी अधिक होती है लेकिन फिर भी महंगे होने के कारण आमतौर पर इनका प्रयोग नहीं किया जाता है लेकिन कुछ महंगे laptops और ultrabooks में इनका प्रयोग किया जाता है |

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अगस्त 15, 2018 0
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Linux operating system क्या है

यह भी विंडोज की तरह की ही कंप्यूटर का ऑपरेटिंग सिस्टम है जिसे 1991 में लिनुस टोरवाल्ड नाम के कंप्यूटर विज्ञानं के छात्र ने रिलीज़ किया और यह दुनिया भर में फ्री उपलब्ध है जबकि हम में से अधिकतर लोग फ्री होने के बाद भी विंडोज जो कि पेड ऑपरेटिंग सिस्टम है का प्रयोग करते है वो इसलिए क्योकि हम से अधिकतर इसके आदी है जिसने भी स्कूल या सामान्य किसी ऑफिस के कंप्यूटर पर काम करते हुए कंप्यूटर सीखा होगा तो अधिकतर कम्प्यूटरों में माइक्रोसॉफ्ट का विंडोज ओपेरटिंग सिस्टम ही इनस्टॉल होता है इसलिए हमे ‘लिनक्स’ की जानकारी नहीं होती । आज के स्मार्टफोन्स में यूज किये जाने वाले गूगल का एंड्राइड जो है वो लिनक्स का एक रूप है |

Linux operating system का DISTRIBUTION (वितरण):-

Linux operating system में सॉफ्टवेयर कैसे install करते हैं

लिनक्स चूँकि एक ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर है तो दुनिया भर के डेवलपर इसे नए नए संस्करण जिनको तकनीकी भाषा में ‘डिस्ट्रो’ कहा जाता है का विकास करते रहे है और नए नए सुधर समय समय पर करके इसके संस्करण इंटरनेट पर फ्री में उपलब्ध करवाये जाते है  सबसे चर्चित डिस्ट्रो में है :- उबन्टु ,फेडोरा ,मिंट और डेबियन ।
आप दिए गए लिंक से लिनक्स के सारे डिस्ट्रो की जानकारी ले सकते है : http://distrowatch.com/

Linux ऑपरेटिंग सिस्टम पर मेरा विचार:-

पर्सनली मुझे विंडोज की अपेक्षा लिनक्स का “उबुंटू” सबसे प्रिय लगता है क्योकि हम इसे इनस्टॉल करने के बाद विंडोज की अपेक्षा काफी अधिक गति से चीज़ो को कर पाते है और ये किसी भी विंडोज वर्शन की अपेक्षा अधिक सुरक्षित भी होता है क्योकि इसमें वायरस जैसी किसी भी समस्या से दो चार नहीं होना पड़ता और साथ ही कम क्षमता के कंप्यूटर या पुराने हो चुके विंडोज कंप्यूटर पर अगर लिनक्स के किसी ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया जाये तो उन गैजेट में नयी जान आ सकती है ।
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What is SMPS in computer कंप्यूटर में SMPS का क्या काम होता है।

अगस्त 02, 2018 0
What is SMPS in computer कंप्यूटर में SMPS का क्या काम होता है।


स्विच मोड पॉवर सप्लाई यानी एसएमपीएस- What is SMPS in Hindi
स्विच मोड पॉवर सप्लाई यानी एसएमपीएस- What is SMPS in Hindi


स्विच मोड पॉवर सप्लाई यानी एसएमपीएस- What is SMPS in Hindi  स्विच मोड पॉवर सप्लाई यानी एसएमपीएस कंप्यूटर से जुड़े हुए सभी कंपोनेंट्स को उनकी जरूरत के हिसाब से पावर सप्लाई का काम करता है। यदि किसी भी कारण से एसएमपीएस कंप्यूटर के पार्ट्स को विद्युत की सप्लाई देने में रुकावट करता है, या smps काम नहीं करता है। तो कंप्यूटर काम करना बंद कर देंगे यानी बिना पावर सप्लाई के कंप्यूटर नहीं चल सकते।
What is SMPS in Hindi : स्विच मोड पॉवर सप्लाई यानी एसएमपीएस कंप्यूटर से जुड़े हुए सभी कंपोनेंट्स को उनकी जरूरत के हिसाब से पावर सप्लाई का काम करता है।
smps Full Form:Switch Mode Power Supply
इसके अलावा यदि कंप्यूटर से जुड़े हुए पार्ट्स पावर सप्लाई क्षमता से अधिक लोड की डिमांड करते हैं तो भी पावर सप्लाई यानी एसएमपीएस सही तरीके से काम नहीं करता है। ऐसी कंडीशन में एसएमपीएस शट डाउन हो जाता है।
जिससे कंप्यूटर उसके अन्य पार्ट्स की सुरक्षा हो जाती है। इस कंडीशन को ओवरलोड शट डाउन कहते हैं। जिस प्रकार से प्रोसेसर कंप्यूटर का दिमाग है उसी प्रकार हम कह सकते हैं कि पावर सप्लाई कंप्यूटर का दिल है।
कंप्यूटर से जुड़े हुए सभी उपकरण को उनकी क्षमता के अनुसार पावर सप्लाई से सप्लाई वितरित की जाती है।

S.M.P.S Switch mode power supply

  • यह पावर सप्लाई ऐसी सप्लाई से पावर ले करके उसको स्टेप डाउन प्रक्रिया के द्वारा डीसी में बदलकर डीसी सप्लाई को रेगुलेट करके कंप्यूटर के सभी पार्ट्स को सही विधुत आपूर्ति करता है।
  • कंप्यूटर में इस्तेमाल की जाने वाली पावर सप्लाई में स्विच मोड पॉवर सप्लाई तरीके का इस्तेमाल किया जाता है।
  • इस प्रक्रिया में इनपुट acसप्लाई को dc बदल कर उसे स्विचिंग प्रोसेस के द्वारा हाई फ्रीक्वेंसी करंट पल्सेस में बदलकर एक रेगुलर सप्लाई करंट SM ट्रांसफार्मर की प्राइमरी में जनरेट की जाती है जिससे परिणाम स्वरुप में ac volt पैदा होते हैं
  • जिन्हें रेगुलेटर कर के जरूरत के हिसाब से सप्लाई प्राप्त की जाती है इस प्रकार की सप्लाई स्विच मोड पॉवर सप्लाई कहलाती हैं यह अन्य प्रकार की सप्लाई से अपेक्षा अधिक विश्वसनीय और सुरक्षित होती हैं।
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[Output Devices in computer in hindi] आउटपुट डिवाइस

जुलाई 11, 2017 0
[Output Devices in computer in hindi] आउटपुट डिवाइस
आउटपुट डिवाइस:- यह वह हार्डवेअर डिवाइस होती है जिसे हमें कम्प्यूटर से कोर्इ भी डाटा या कोर्इ भी आउटपुट प्राप्त होती है।

Important for you:-


[CPU Its Parts] सीपीयू : मुख्‍य भाग

जुलाई 11, 2017 0
[CPU Its Parts] सीपीयू :  मुख्‍य भाग
सीपीयू कम्‍प्‍यूटर का मुख्‍य भाग होता है, इसी प्रकार सी0पी0यू0 भी कई भागों में बॅटा होता है या वह भी कई हार्डवेयरों को जोडकर बनाया जाता है, इन्‍ही हार्डवेयर भागों की गुणवत्‍ता और क्षमता पर सी0पी0यू0 की कार्यक्षमता निर्भर करती है तो आईये जाने सी0पी0यू0 के भागों के बारें में- 

हार्ड डिस्क:- 

यह वह भाग है जिसमें कम्प्यूटर के सभी प्रोग्राम और डाटा सुरक्षित रहते है। हार्ड डिस्क की मेमोरी स्थायी होती है, इसीलिए कम्प्यूटर को बंद करने पर भी इसमें सुरक्षित प्रोग्राम और डाटा समाप्‍त नहीं होता है। आज से 10 वर्ष पहले हार्डडिस्‍क की स्‍टोरेज क्षमता गीगाबाइट/जी0बी0 मेगाबाइट या एम0बी0 तक सीमित रहती थी किन्‍तु आजकल हार्ड डिस्क की स्‍टोरेज क्षमता को टेराबाइट या टीबी में मापा जाता है किन्तु आजकल 500 जी0बी0 तथा 1 TB या 1000 GB के क्षमतायुक्त पीसी लोकप्रिय हो गए है। हार्ड डिस्क की क्षमता जितनी अधिक होगी उतना ही ज्‍यादा डाटा स्‍टोर किया जा सकता है। 

मदर बोर्ड :-

मदर बोर्ड फाइबर ग्लास का बना एक समतल प्लैटफार्म होता है, जो कम्‍प्‍यूटर के सभी हार्डवेयरों को जैसे की बोर्ड, माउस, एल0सी0डी0, प्रिन्‍टर आदि को एक साथ जोडें रखता है। मदरबोर्ड से ही प्रोसेसर, हार्डडिस्‍क, रैम भी जुडी रहती है तथा यू0एस0बी0, या पेनडाइव लगाने के लिये के भी यू0एस0बी0 पाइन्‍ट मदरबोर्ड बोर्ड में दिये गये होते हैं। साथ ही मदरबोर्ड से ही हमें ग्राफिक, तथा साउण्‍ड का आनन्‍द भी मिलता है। 

सेन्ट्रल प्रासेसिग यूनिट (प्रोसेसर):- 

यह कम्प्यूटर का सबसे अधिक महत्वपूर्ण भाग है। इसमें एक माक्रोप्रोसर चिप रहता है जो कम्प्यूटर के लिए सोचने के सभी काम करता है और यूजर के आदेशेा तथा निर्देशों के अनुसार प्रोग्राम का संचालन करता है। एक तरह से यह कम्‍प्‍यूटर का दिमाग ही होता है। इसी वजह से यह काफी गरम भी होता है और इसको ठंडा रखने के लिेये इसके साथ एक बडा सा फैन भी लगाया जाता है जिसे सी0पी0यू0 फैन कहते हैं। आजकल प्रोसेसर पिन लैस आते हैं लेकिन आज से 5 साल पहले पिन वाले प्रोसेसर आते थे। इसनें सबसे प्रचलित पैन्‍टीयम 4 प्रोसेसर रहें हैं। आज के समय में इन्‍टेल कम्‍पनी के डयूलकोर और आई03 या आई07 प्रोसेसर काफी प्रचलित हैं। इन प्रोसेसरों से कम्‍प्‍यूटर की क्षमता काफी बढ जाती है। 

डी0वी0डी0 राइटर :- 

यह वह भाग है जो डी0वी0डी0-राइटर डिस्क में संचित डाटा को पढता है तथा डी0वी0डी0 को राइट भी करता है जब तक डी0वी0डी राइटर नहीं आया था तक डी0वी0डी रोम चलते थे और उससे पहले सी0डी0 राइटर या सी0डी0 रोम होते थे और उससे भी पहले फ्लोपी डिस्क ड्राइव होती थी जिसमें केवल 3;4 एम0बी0 डाटा ही स्‍टोर किया जा सकता था। आजकल ब्‍लूरे डिस्‍क क भी अविष्‍कार हो चुका है जिसमें लगभग 40 जी0बी0 तक डाटा स्‍टोर किया जा सकता है। इसके लिये कम्‍प्‍यूटर में ब्‍लूरे राइटर को लगाना आवश्‍यक होगा। 

रैम - 

रैम की फुलफार्म रैन्‍डम एक्सिस मैमरी होती है, रैम कम्‍प्‍यूटर को वर्किग स्‍पेस प्रदान करती यह एक प्रकार की अस्‍थाई मैमोरी होती है, इसमें कोई भी डाटा स्‍टोर नहीं होता है। जब हम कोई एप्‍लीकेशन कम्‍प्‍यूटर में चलाते हैं, तो वह चलते समय रैम का प्रयोग करती है। कम्‍प्‍यूटर में कम रैम होने की वजह से कभी कभी हैंग होने की समस्‍या आती है तथा कुछ ऐप्‍लीकेशन को पर्याप्‍त रैम नहीं मिलती है तो वह कम्‍प्‍यूटर में नहीं चलते है। रैम कई प्रकार की आती है, जैसे DDR, DDR1, DDR2 तथा DDR3 आजकल के प्रचलन में डी0डी0आर03 रैम है। रैम के बीच के कट को देखकर रैमों को पहचाना जा सकता है।

पावर सप्लार्इ :- 

कम्प्यूटर के सभी भागों को उनकी क्षमता के अनुसार पावर प्रदान करने का कार्य पावर सप्‍लाई करती है। इसको भी ठंडा रखने के लिये इसमें फैन लगा होता है। इसमें से मदरबोर्ड, हार्डडिस्‍क, डी0वी0डी0राइटर को उचित सप्‍लाई देने हेतु अलग अलग प्रकार के वायर दे रखे होते है। इसका मेन स्‍वीच सी0पी0यू0 के पीछे दिया होता है जहॉ पावर केबिल के माध्‍यम से कम्‍प्‍यूटर को पावर दी जाती है।

[Hardware structure of Computer] कंप्यूटर की हार्डवेयर संरचना

जुलाई 11, 2017 0
[Hardware structure of Computer] कंप्यूटर की हार्डवेयर संरचना

कम्प्यूटर के निम्‍न महत्वपूर्ण भाग होते है:-
•    मोनीटर या एल.सी.डी.
•    की-बोर्ड
•    माऊस
•    सी.पी.यू.
•    यू.पी.एस
मोनीटर या एल सी डी :- इसका प्रोयोग कम्प्यूटर के सभी प्रेाग्राम्स का डिस्‍प्ले दिखाता है। यह एक आउटपुट डिवाइस है।

की-बोर्ड :- इसका प्रयोग कम्प्यूटर मे टाइपिंग लिए किया जाता है, यह एक इनपुट डिवाइस है हम केवल की-बोर्ड के माध्यम से भी कम्‍प्‍यूटर को आपरेट कर सकते है।
माऊस :- माऊस कम्प्यूटर के प्रयोग को सरल बनाता है यह एक तरीके से रिमोट डिवाइस होती है और साथ ही इनपुट डिवाइस होती है।
सी. पी. यू.(सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट):- यह कम्प्यूटर का महत्वपूर्ण भाग होता है हमारा सारा डाटा सेव रहता है कम्प्यूटर के सभी भाग सी. पी. यू. से जुडे रहते है। सीपीयू के अन्‍दरूनी भागों के बारे में जानें क्लिक करें। 

यू.पी.एस.(अनिट्रप पावर सप्लार्इ):- यह हार्डवेअर या मशीन कम्प्यूटर बिजली जाने पर सीधे बन्द होने से रोकती है जिससे हमारा सारा डाटा सुरक्षित रहता है। 

यह सारे हार्डवेयर दो भागों में बॅटे रहता है- 

[Computer working] कंप्‍यूटर : कार्यप्रणाली

जुलाई 11, 2017 0
[Computer working] कंप्‍यूटर : कार्यप्रणाली
कंप्‍यूटर को ठीक प्रकार से कार्य करने के लिये सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर दोनों की अावश्‍यकता होती है। अगर सीधी भाषा में कहा जाये तो यह दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। बिना हार्डवेयर सॉफ्टवेयर बेकार है और बिना सॉफ्टवेयर हार्डवेयर बेकार है। मतलब कंप्‍यूटर सॉफ्टवेयर से हार्डवेयर कमांड दी जाती है किसी हार्डवेयर को कैसे कार्य करना है उसकी जानकारी सॉफ्टवेयर के अन्दर पहले से ही डाली गयी होती है। कंप्यूटर के सीपीयू से कई प्रकार के हार्डवेयर जुडे रहते हैं, इन सब के बीच तालमेल बनाकर कंप्यूटर को ठीक प्रकार से चलाने का काम करता है सिस्टम सॉफ्टवेयर यानि ऑपरेटिंग सिस्टम। 

कंप्यूटर की कार्य प्रणाली

कंप्‍यूटर के कार्यप्रणाली की प्रक्रिया एक चरणबद्ध तरीके से होती है - 
इनपुट (Input) ----- प्रोसेसिंग (Processing) ----- आउटपुट (Output) 
  1. इनपुट के लिये अाप की-बोर्ड, माउस इत्‍यादि इनपुट डिवाइस का प्रयोग करते हैं साथ ही कंप्‍यूटर को सॉफ्टवेयर के माध्‍यम से कंमाड या निर्देश देते हैं या डाटा एंटर करते हैं। 
  2. यह इस प्रक्रिया का दूसरा भाग है इसमें अापके द्वारा दी गयी कंमाड या डाटा को प्रोसेसर द्वारा सॉफ्टवेयर में उपलब्‍ध जानकारी और निर्देशों के अनुसार प्रोसेस कराया जाता है। 
  3. तीसरा अौर अंतिम भाग आउटपुट इसमें आपके द्वारा दी गयी कंमाड के अाधार पर प्रोसेस की गयी जानकारी का आउटपुट कंप्‍यूटर द्वारा आपको दिया जाता है जो आपको आउटपुट डिवाइस द्वारा प्राप्‍त हो जाता है।
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[What is Hardware in hindi] हार्डवेयर क्‍या होता है -

जुलाई 11, 2017 0
 [What is Hardware in hindi] हार्डवेयर क्‍या होता है -
हार्डवेयर Computer का Machinery भाग होता है जैसे LCD, की-बोर्ड, माउस, सी0पी0यू0, यू0पी0एस0 आदि जिनको छूकर देखा जा सकता है। इन Machinery Part के मिलकर computer का बाहरी भाग तैयार होता है तथा Computer इन्‍ही हार्डवेयर भागों से computer की क्षमता का निर्धारण किया जाता है आजकल कुछ Software को Computer में चलाने के लिये निर्धारित Hardware की आवश्‍यकता होती है। यदि Software के अनुसार Computer में हार्डवेयर नहीं है तो Software को Computer में चलाया नहीं जा सकता है।

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[End of Windows XP in hindi] विण्‍डोज XP का अन्‍त

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[End of Windows XP in hindi] विण्‍डोज XP का अन्‍त
क्‍या है विण्‍डोज Xp 
यह ऐसा सिस्टम होता है, जो हमें कम्प्यूटर को आसानी से आॅपरेट करने में सहायक होता है। इसलिये इसे हम आॅपरेटिंग सिस्टम कहते हैं। माइक्रोसाफ्ट कम्‍पनी ने अपने द्वारा बनाये गये आॅपरेटिंग सिस्टम को विण्डोज नाम दिया, इनके कई संस्करण बाजार में उपलब्ध हैं, जिसमें से एक है विण्डोज एक्सपी। हालांकि विण्डोज एक्सपी के बाद विण्डोज विस्ता, विण्डोज 7 और विण्डोज 8 भी बाजार में उपलब्ध हैं, लेकिन आज लगभग 12  साल बाद भी विण्डोज एक्सपी का दबदबा कायम है। 
माइक्रोसॉफ्ट ने विण्डोज एक्सपी को अक्टूबर 2001 में जारी किया था , जिसने आधुनिक कम्‍प्‍यूटरीकरण की काया ही बदल दी,  इसे चलाना बहुत आसान था, और यह सभी प्रकार के हार्डवेयर और साफ्टवेयर के साथ आसानी से काम करती थी, विण्डोज XP की इन्हीं खूबियों की वजह से लोगों दिलों में एक अलग स्थान बनाये हुए हैं और आज भी माइक्रोसाफ्ट का सबसे ज्यादा प्रचलित आॅपरेटिंग सिस्टम है।
माइक्रोसॉफ्ट ने 08 अप्रैल 2014 से अपना सर्पोट खत्‍म करने का ऐलान किया है, तो क्‍या यह विण्‍डोज XP का अन्‍त होगा, कई लोगों के ने पूछा है कि क्‍या उनके कम्‍प्‍यूटर से विण्‍डोज XP समाप्‍त हो जायेगी, ऐसा भी नहीं है, असल में जो लोग विण्‍डोज से ऑनलाइन सपोर्ट लेते हैं, या अपडेट लेते हैं, केवल वह समाप्‍त हो जायेगा, अगर आपके कम्‍प्‍यूटर में विण्‍डोज XP  है तो वह सही प्रकार काम करती रहेगी, बशर्ते आप अच्‍छा एंटीवायरस डाल के रखें, इसके पीछे माइक्रोसॉफ्ट यह प्‍लान केवल विण्‍डोज 7 और 8 को लोगों के बीच में लाना है। 
अगर आप विण्‍डोज XP का कोई सस्‍ता विकल्‍प चाहते हैं तो आप  लिनक्‍स उबन्‍टु 13.10 को देख सकते हैं।

[What is software in hindi] सॉफ्टवेयर

जुलाई 11, 2017 0
[What is software in hindi] सॉफ्टवेयर
सॉफ्टवेयर Computer का वह Part होता है जिसको हम केवल देख सकते हैं और उस पर कार्य कर सकते हैं, Software का निर्माण Computer पर कार्य करने को Simple बनाने के लिये किया जाता है, आजकल काम के हिसाब से Software का निर्माण किया जाता है, जैसा काम वैसा Software । Software को बडी बडी कंपनियों में यूजर की जरूरत को ध्‍यान में रखकर Software programmers द्वारा तैयार कराती हैं, इसमें से कुछ free में उपलब्‍ध होते है तथा कुछ के लिये चार्ज देना पडता है। जैसे आपको फोटो से सम्‍बन्धित कार्य करना हो तो उसके लिये फोटोशॉप या कोई वीडियो देखना हो तो उसके लिये मीडिया प्‍लेयर का यूज करते है।

[Whai is Computer in hindi] कंप्‍यूटर क्‍या है

जुलाई 11, 2017 0
[Whai is Computer in hindi] कंप्‍यूटर क्‍या है

कंप्‍यूटर क्‍या है -

कंप्यूटर शब्द अंग्रेजी के "Compute" शब्द से बना है, जिसका अर्थ है "गणना", करना होता है इसीलिए इसे गणक या संगणक भी कहा जाता है, इसका अविष्‍कार Calculation करने के लिये हुआ था, पुराने समय में Computer का use केवल Calculation करने के लिये किया जाता था किन्‍तु आजकल इसका use डाक्‍यूमेन्‍ट बनाने, E-mail, listening and viewing audio and video, play games, database preparation के साथ-साथ और कई कामों में किया जा रहा है, जैसे बैकों में, शैक्षणिक संस्‍थानों में, कार्यालयों में, घरों में, दुकानों में, Computer का उपयोग बहुतायत रूप से किया जा रहा है, computer केवल वह काम करता है जो हम उसे करने का कहते हैं यानी केवल वह उन Command को फॉलो करता है जो पहले से computer के अन्‍दर डाले गये होते हैं, उसके अन्‍दर सोचने समझने की क्षमता नहीं होती है, computer को जो व्‍यक्ति चलाता है उसे यूजर कहते हैं, और जो व्‍यक्ति Computer के लिये Program बनाता है उसे Programmer कहा जाता है।
Computer मूलत दो भागों में बॅटा होता है-

[History of Computer in hindi] कंप्यूटर का इतिहास

जुलाई 11, 2017 0
[History of Computer in hindi] कंप्यूटर का इतिहास
आज आप कंप्यूटर पर इंटरनेट चलाते हैँ, गेम खेलते है, वीडियो देखते हैं, गाने सुनते हैँ और इसके अलावा ढेर सारे ऑफिस से संबंधित काम करते हैं आज कंप्यूटर का उपयोग दुनिया के हर क्षेत्र मेँ किया जा रहा है चाहे वो शिक्षा जगत हो, फिल्म जगत हो या आपका ऑफिस हो। कोई भी जगह कंप्यूटर के बिना अधूरी है आज आप कंप्यूटर की सहायता से इंटरनेट पर दुनिया के किसी भी शहर की कोई भी जानकारी सेकेण्‍डों मे प्राप्त कर सकते हैँ ये किसी दूसरे देश मेँ बैठे अपने मित्रोँ और रिश्तेदारोँ से इंटरनेट के माध्यम लाइव वीडियो कॉंफ्रेंसिंग कर सकते हैँ यह सब संभव हुआ है कंप्यूटर की वजह से। सोचिए अगर कंप्यूटर ना होता तो आज की दुनिया कैसी दिखाई देती। 

कंप्यूटर शुरुआत कहाँ से हुई ओर क्यूँ हुई ? क्या वाकई मेँ कंप्यूटर इन सभी कामाें को करने के लिये बना था या इसका आविष्कार किसी और वजह से हुआ था आइए जानते हैँ - 


मानव के लिए गणना करना शुरु से ही कठिन रहा है मनुष्य बिना किसी मशीन के एक सीमित स्तर तक ही गणना या केलकुलेशन कर सकता है ज्यादा बडी कैलकुलेशन करने के लिए मनुष्य को मशीन पर ही निर्भर रहना पड़ता है इसी जरुरत को पूरा करने के लिए मनुष्य ने कंप्यूटर का निर्माण किया, यानी गणना करने के लिए। 

अबेकस 

अबेकस पहला ऐसा कंप्यूटर था, जो गणना कर सकता था। अबेकस का निर्माण लगभग 3000 वर्ष पूर्व चीन के वैज्ञानिकोँ ने किया था। एक आयताकार फ्रेम में लोहे की छड़ोँ में लकडी की गोलियाँ लगी रहती थी जिनको ऊपर नीचे करके गणना या केलकुलेशन की जाती थी। यानी यह बिना बिजली के चलने वाला पहला कंप्यूटर था वास्तव मेँ यह काम करने के लिए आपके हाथो पर ही निर्भर था।

पास्‍कलाइन

अबेकस के बाद निर्माण हुआ पास्‍कलाइन का। इसे गणित के विशेषज्ञ ब्लेज पास्कल ने सन् 1642 मेँ बनाया यह अबेकस से अधिक गति से गणना करता था। ये पहला मैकेनिकल कैलकुलेटर था। 

डिफरेंज इंजन 

डिफरेंस इंजन सर चार्ल्स बैबेज द्वारा बनाया एेसा यंत्र था जो सटीक तरीके से गणनायें कर सकता था,  इसका आविष्कार संस 1822 में किया गया था, इसमें प्रोग्राम स्टोरेज के लिए के पंच कार्ड का इस्‍तेमाल किया जाता था। इसके आधार ही आज के कंप्यूटर बनाये जा रहे हैं इसलिए चार्ल्स बैवेज को कंप्यूटर का जनक कहते हैँ।

[Generation of Computer in hindi] कंप्यूटर की पीढ़ी हिंदी में

जुलाई 11, 2017 0
[Generation of Computer in hindi] कंप्यूटर की पीढ़ी हिंदी में
कंम्यूटर का शुरूआती दौर ऐसा ना था, यह शुरूआत में बहुत बडें, भारी और मॅहगें हुआ करते थे। समय के हिसाब से इसकी तकनीक में बहुत से बदलाव हुए, इन बदलवों से कंप्यूटरों की नई पीढीयों का जन्म होने लगा, हर पीढ़ी के बाद कंम्यूटर की आकार-प्रकार, कार्यप्रणाली एवं कार्यक्षमता में सुधार होता गया, तब जाकर आज के समय का कंम्यूटर बन पाया -

पहली पीढ़ी के कंप्यूटर 

Timeline - 1942-1955

इस पीढी के कंप्यूटर में वैक्यूम ट्यूब (Vacuum Tube) का प्रयोग किया जाता था, जिसकी वजह से इनका आकार बहुत बडा होता था और बिजली खपत भी बहुत अधिक होती थी। यह ट्यूब बहुत ज्यादा गर्मी पैदा करते थे। इन कंम्यूटरों में ऑपरेंटिग सिस्टम नहीं होता था, इसमें चलाने वाले प्रोग्रामों को पंचकार्ड में स्टोर करके रखा जाता था। इसमें डाटा स्टोर करने की क्षमता बहुत सीमित होती थी। इन कंप्यूटरों में मशीनी भाषा (Machine language) का प्रयोग किया जाता था। 

तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर

Timeline - 1964-1975

यहाॅ तक अाते अाते ट्रांजिस्टर की जगह इंटीग्रेटेड सर्किट (Integrated Circuit) यानि अाईसी ने ले ली और इस प्रकार कंप्यूटर का अाकार बहुत छोटा हो गया, इन कंम्यूटरों की गति माइक्रो सेकंड से नेनो सेकंड तक की थी जो स्केल इंटीग्रेटेड सर्किट के द्वारा संभव हो सका। यह कंम्पयूटर छोटे अौर सस्ते बनने लगे और साथ ही उपयोग में भी अासान होते थे। इस पीढी में उच्च स्तरीय भाषा पास्कल और बेसिक का विकास हुआ। लेकिन अभी भी बदलाव हो रहा था।

चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर - 

Timeline - 1967-1989

चिप तथा माइक्रोप्रोसेसर चौथी पीढी के कंप्यूटरों में आने लगे थे, इससे कंप्यूटरों का आकार कम हो गया और क्षमता बढ गयी। चुम्बकीय डिस्क की जगह अर्धचालक मैमोरी (Semiconductor memory) ने ले ली साथ ही उच्च गति वाले नेटवर्क का विकास हुआ जिन्हें आप लैन और वैन के नाम से जानते हैं। ऑपरेटिंग के रूप में यूजर्स का परिचय पहली बार MS DOS से हुआ, साथ ही कुछ समय बाद माइक्रोसॉफ्ट विंडोज भी कंप्यूटरों में आने लगी। जिसकी वजह से मल्टीमीडिया का प्रचलन प्रारम्भ हुआ। इसी समय C भाषा का विकास हुआ, जिससे प्रोग्रामिंग करना सरल हुआ।

पांचवीं पीढ़ी के कंप्यूटर -

Timeline - 1989 से अब तक 

Ultra Large-Scale Integration (ULSI) यूएलएसआई, ऑप्टीकल डिस्क जैसी चीजों का प्रयोग इस पीढी में किया जाने लगा, कम से कम जगह में अधिक डाटा स्टोर किया जाने लगा। जिससे पोर्टेबल पीसी, डेस्कटॉप पीसी, टेबलेट आदि ने इस क्षेञ में क्रांति ला दी। इंटरनेट, ईमेल, WWW का विकास हुआ। आपका परिचय विडोंज के नये रूपों से हुआ, जिसमें विडोंज XP को भुलाया नहीं जा सकता है। विकास अभी भी जारी है, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) पर जोर दिया जा रहा है। उदाहरण के लिये विडोंज कोर्टाना को आप देख ही रहे हैं।

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